जिम्मेदार इंसान
राह में मुश्किलों के चलते-चलते,
हर लम्हा हर नफ़स सँभलते सँभलते ,
शौक से हसरतो का पीछा करते करते,
गुजर जाता है यूँही चलते चलते ।
शाम की तन्हाई में जब घर आता है,
जिम्मेदारीयों के बोझ से सो नहीं पाता है,
बस तसलियों से दिल...
हर लम्हा हर नफ़स सँभलते सँभलते ,
शौक से हसरतो का पीछा करते करते,
गुजर जाता है यूँही चलते चलते ।
शाम की तन्हाई में जब घर आता है,
जिम्मेदारीयों के बोझ से सो नहीं पाता है,
बस तसलियों से दिल...