...

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" हैप्पी रोस डे "
" हैप्पी रोस डे "

जाने किस ने यह रीत बनाई..!
कोई रोस लेने के लिए बेक़रार है..!
कोई रोस देने के लिए बेक़रार है..!
माना कि गुल ये नायाब है..
बेहद हसीन मुलायम है जिसकी महक़ भी लाजवाब है..!
मगर यह ना भूलें कि गुलाब के साथ-साथा ख़ार भी चुनते हैं..!
यह बात और है कि देने से पहले इन्हें हम टहनियों से ख़ार को अलग कर देते हैं..!
हक़ीक़त यह है कि ख़ार के बिना
गुलाब नहीं होता..!
जिस से सबक हमें यह मिलता है ..!
गुलों के गुलदस्ते के साथ ख़ार की चुभन भी लाज़मी है..!
खुशी के साथ ग़म का सफ़र सुहाना हो..!
क्या इन सब बातों के लिए ऐ प्रेमी
युगल , तुम कितने तैयार हो..? 💞
बिना सोचे समझे इस नतीजे पर कभी भी नहीं पहुंचे कि तुम किसी को शामिल अपने जिन्दगी में करो..!
निभाने की कुव्वत हो तो क़दम आगे बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है..!
वर्ना खुद को भी और उसको भी तुम घायल जरूर करोगे..!
यह " रोस डे " कोई हसीं मजाक़ नहीं है..!
© 🥀 teres@lways 🥀