...

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'चन्दन' हूँ ; तुम्हें याद तो मैं आ ही जाऊँगा...
हारा हुआ हूँ आज कभी जीत जाऊँगा,
साँसे चलेंगी जब तक तुमको ही चाहूँगा,
महसूस करोगे मुझे, तुम पास पाओगे,
बनके हवा शहर तुम्हारे लौट आऊँगा,

देखूँगा जी भर के तुम्हें अपनी निगाहों से,
फिर शहर से तुम्हारे मैं लौट जाऊँगा,
ग़र तुमको ना पसंद होगी मेरी ये हसरत,
कह देना एक बार, फिर कभी ना आऊँगा,

दिल में छुपा कर रखी है तस्वीर तुम्हारी,
उसको ही देख कर के मन को बहलाऊँगा,
कितनी भी भूलने की करो कोशिशें मुझे,
"चन्दन" हूँ तुम्हें याद तो मैं आ ही जाऊँगा...

© 💞चन्दन नाविक 'विनम्र'💞