9 views
रणवीर
बाहर से तो शान्त दिखता
अन्दर बेहद शोर है
अभी तो रण में कूद पड़ा हूँ
युद्ध अभी कुछ और है
जिन्दगी कि धार से विपरीत
बहना जानता हूँ
कर्मवीर हूँ समर का
मैं युद्ध करना जानता हूँ
जानता हूँ शास्त्र को मैं
शस्त्र को पहचानता हूँ
धरती का मैं पुत्र हूँ
माँ का स्नेह जानता हूँ
माँ मेरी करूणा मयी है
माँ मेरी ममतामयी है
जितनी भी कठिनाई आए
रण में होगी शस्त्र बर्षा
शस्त्रु कितने ही सुभट हो
सहस्त्र सेना और विकट हो
रण से पीछे ना हटूगा
अग्नि से भी न मिटूगा
धार तीखी तलवार होगी
नित शोणित धार होती
आहुति दे युद्ध में माँ की
सदा जयकार होगी
संघर्ष करता ही रहूगा
जीत या फिर हार होगी
वह मुझे स्वीकार होगी ।
© Satyam Dubey
अन्दर बेहद शोर है
अभी तो रण में कूद पड़ा हूँ
युद्ध अभी कुछ और है
जिन्दगी कि धार से विपरीत
बहना जानता हूँ
कर्मवीर हूँ समर का
मैं युद्ध करना जानता हूँ
जानता हूँ शास्त्र को मैं
शस्त्र को पहचानता हूँ
धरती का मैं पुत्र हूँ
माँ का स्नेह जानता हूँ
माँ मेरी करूणा मयी है
माँ मेरी ममतामयी है
जितनी भी कठिनाई आए
रण में होगी शस्त्र बर्षा
शस्त्रु कितने ही सुभट हो
सहस्त्र सेना और विकट हो
रण से पीछे ना हटूगा
अग्नि से भी न मिटूगा
धार तीखी तलवार होगी
नित शोणित धार होती
आहुति दे युद्ध में माँ की
सदा जयकार होगी
संघर्ष करता ही रहूगा
जीत या फिर हार होगी
वह मुझे स्वीकार होगी ।
© Satyam Dubey
Related Stories
8 Likes
0
Comments
8 Likes
0
Comments