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मैं भी निष्पाप नहीं हूँ
मैं भी निष्पाप नहीं हूँ

मैं भी निष्पाप नहीं हूँ
दूध का धुला भी नहीं
पाप मुझसे भी हुए हैं अब भी होते हैं

कल चौराहे पर गोद में बच्चा लिए उस औरत की आँखों में याचना के भाव थे
उसने पास आकर कहा
मेरे पास आटा है आलू है पर सरसों तेल नहीं
मैंने सिर्फ़ दस रूपया बढ़ाया
रास्ते भर पछतावा हुआ
ऐसी मदद भी क्या कि सौ ग्राम भी न हो

युवा अवस्था में एक लड़की मुझसे प्रेम करती थी
मैं भी करता था
बहुत दिलेर और साहसी थी वह
समाज को ठेंगा दीखा सकते थे हम
पर ऐन वक़्त मैं पीछे हट गया

एक रात मुझे नींद नहीं आयी उस गरीब बच्चे का चेहरा घूमता रहा जो देख रहा था एकटक मुझे आइसक्रीम खाते

मुक दर्शक होना भी तो पाप है
पड़ोस में एक आदमी रोज पिटता है अपनी औरत को
और हम मुक दर्शक होते हैं

आगे लंबी लाइन देख
बहुत बार मैं पिछले दरवाजे से गया
© daya shankar Sharan