...

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आसमां तेरे लिए
आसमां के सितारों को जमीं पर मैं तेरे लिए बिछा डालूं।
तुम कहते ज़रा हमें कभी तेरे लिए ख़ुद को ही मिटा डालूं।
अंबर क्या है? क्या है जमीं सनम? इश्क़ में तेरे तुझे ही ख़ुदा मानूं।
दे देते तुम तो एक इशारा, जन्नत भी तेरे लिए मैं अभी ठुकरा डालूं।।

ये आग अभी भी रोशन है, तेरे इश्क़ में ख़ुद को कहां जानूं।
खोया हूं ख़ुद ही तुझमें, तुझमें ही इश्क़ की सदा जानूं।
हर हर्फ मेरी कहती है तुझको, हर एहसास तुझे बुलाती है।
जीना है तेरा होकर। तुझ बिन ज़िन्दगी को भला क्या मानूं?

© ज़िंदादिल संदीप