...

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पुरानी गलियां !
किसी शाम युहीं याद आ गयी
मुझे मेरे बचपन की कुछ गलियां...
वो सुन्दर सा गाँव
घर में पेड़ कि छाँव....

कुछ धुंदली है...
कुछ पुरानी है...
कुछ बहुत सुन्दर है...
बचपन की कुछ कहानियां हैं...

सच कहा है...
बचपन नही सुंदर वादियां हैं
कुछ पल याद कर लेने से ही
होटों पर मुस्कान दे जाति है...

कभी कभी होति है मन कि गुज़ारिश
ले चल मुझे वहां...
जहां ना कोई जरुरत थी
और ना कोई जरूरी था...

© abhiraj