सुंदर पहाड़
देखो लगते कितने सुंदर हैं पहाड़।
शांत स्थिर न कोई इनमें है दहाड़।।
घमंड नही ज़रा अपनी सुंदरता पर।
मजबूती शान से खड़े अधीरता पर।।
ऊँचे चढ़ना इतना आसान नही पर,
अपनी ऊँचाई पे कोई अभिमान नही।
प्रकृति के हैं वो अमूल्य अभिन्न हिस्से,
कालो से धरती पे हैं जुड़े कई किस्से।
उनका अपना कोई ऐसा स्वार्थ नही,
प्रकट स्वरूप दूजा कोई परमार्थ नही।
ऋषि मुनि का तप हो या
अविनाशी शिव का घर हो,
जड़ी बूटियों का भंडार यहीं पर,
अद्भुत हैं कई...
शांत स्थिर न कोई इनमें है दहाड़।।
घमंड नही ज़रा अपनी सुंदरता पर।
मजबूती शान से खड़े अधीरता पर।।
ऊँचे चढ़ना इतना आसान नही पर,
अपनी ऊँचाई पे कोई अभिमान नही।
प्रकृति के हैं वो अमूल्य अभिन्न हिस्से,
कालो से धरती पे हैं जुड़े कई किस्से।
उनका अपना कोई ऐसा स्वार्थ नही,
प्रकट स्वरूप दूजा कोई परमार्थ नही।
ऋषि मुनि का तप हो या
अविनाशी शिव का घर हो,
जड़ी बूटियों का भंडार यहीं पर,
अद्भुत हैं कई...