...

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कभी रुकना मत
रास्ता चाहे कितना हो मुश्किल
सूखने लगे उम्मीदों की झील
तभी तो होगी परीक्षा तुम्हारी
तुमने हिम्मत हारी की न हारी
तब चुनौतीओ के आगे झुकना मत
यदि सच्चे हो, तो चलते रहना,कभी रुकना मत

जब कोई नहीं भरोसा करता
खुद पर शंशय होने लगता
डीगने लगता हौसला अपना
झूठा लगने लगता सपना
तब निराशाओं से जल्द तूटना मत
यदि सच्चे हो तो चलते रहना, कभी रुकना मत

खुद का साथ जिसने ना छोडा
ईश्वर के साथ जब मन को जोडा
रखकर धैर्य और थोडा जो चला
आखिर में वह फुला और फलां
डोर विश्वास की बस काटना मत
यदि सच्चे हो तो चलते रहना, कभी रुकना मत

© hitesh kanubhai shukla