...

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भोलेनाथ
जिसने शिव को जान लिया जीवन मर्म पहचान लिया
निराकार साकार ब्रह्म के भेद को समझो जान लिया
बिना शक्ति के शिव शव सम ज्ञान ये सबको दिया
भूत पिशाच पिनाक सभी प्रिय भेद न किसी से किया
भाँग धतूरा मेवा सेवा सभी सहर्ष स्वीकार किया
चंदा हो चाहे हो गंगा शीश पर धारण है किया
शिव बाबा भोले भंडारी पल मे प्रसन्न हो जाते हैं
प्रेमरत हो जो भी ध्यावे भोले दौड़े आते हैं
© मधुशिल्पी