...

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तुम्हारा मुझे दिया खालीपन
सुनो!

खाली मटका कभी पानी में डुबोया है?
बुदबूदाता है वो अपना खालीपन
किसी अकेले बैठे वृद्ध की तरह
और फिर समेट लेता है
अपने आसपास को
एक ही सास में

कुछ इसी तरह
तुम्हारे चले जाने के बाद
मैं
समेटता रहा वो तमाम बातें
जो हमारे बीच हुई
और जो न हो पाई

तुम्हारी नज़र के चश्मे से
देखता रहा एकटुक
और सोचता रहा
कि यह तुम्हारी नज़र है या यह चश्मा
जो तुम्हें कूड़ेदान के पास फूल दिखता है?

यह तुम्हारा विश्वास है
या
तुम्हारी डायरी के बीच दबा मोर पँख
जो तुम्हें बेरंग चीज़ो में
प्यार दिखाता है?

ये तुम हो
या तुम्हारे लिए मेरा प्रेम
जो तुम्हारे खाली मकान
मुझसे चिट्ठीया भिजवाता है?

जो तुम्हारे दिए खालीपन को
यूँ ही बैठे मुझसे
तुमसे
भरवाता है!



© Mystic Monk