...

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वो जाने क्यूँ नहीं आया.!
खिड़की खोल कर बैठी हूँ इंतज़ार में कबसे
चाँद अब तक तेरे क़िस्से सुनाने क्यूँ नहीं आया

मेरी ख़ाली कलाई पूछ रही है मुझसे आज
वो अब तक...