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जय श्री राम
जय श्री राम

राम ही आदि राम ही मध्य
राम ही होता अंत
हृदय में सब के रमण है करते, राम कथा अनंत।।

राम आत्मा राम परमात्मा
राम ही साधु-संत
हर जीव का स्वरूप राम है, राम ही जीवन कन्त।।

रामनाम की दौलत पा लो
सारे मिटेंगे गम
राम ही ऊपर राम ही नीचे, राथ रहे हर क्षण।।

मोक्ष के दाता भाग्य विधाता
हरि कथा अनंत
राम ही अंदर राम ही बाहर, श्री राम बसे सब कण।।

श्वास चलती जिसकी बदौलत
उसको करो प्रसन्न
मानुष जीवन सफल हो जाएं, जो राम के सुनो प्रसंग।।

नश्वर होती जग की वस्तु
राम अजर, अमर, अनंत
राम में समाहित अंत में होता, सरल, राजा और रंक।।

राम में ही ब्रह्मांड समाया
राम ही तन-मन-धन
राममयी ये दुनियां सारी, राम ही है आनंद।।