...

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हर नदी का भाग्य समंदर नहीं..
मेरे ह्रदय में
गहन अंधकार है
और यह अंधकार मुझे खाए जा रहा है
गहरी रिक्तता मुझे
विवेकशून्य कर रही है
बहुत कुछ है मेरे पास
और अधिक कुछ पाने की चाह भी नहीं
बावजूद इसके
ये रिक्तता मुझे
कमी,उदासी और एकाकी
की तरफ गहरा धकेल रही है।
मैं हाथ-पैर मार रही हूँ
ताकि इस...