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अधूरे जज्बात .....
जो भी लिखते थे हम
हमेशा दिल से लिखते थे
तुम पूरा पढ़ते ना थे तो
फिर लिखकर मिटा देते थे
हम काबिल नहीं थे तुम्हारे
इसीलिए हमेशा पीछे हटते थे
कुछ जज़्बात अधूरे ही रहते हैं
यही सोचकर हम सबर करते थे
खो जायेंगे हम भी कहीं एकदिन
सहरा में मरने वाले कहाँ मिलते हैं !!
हमेशा दिल से लिखते थे
तुम पूरा पढ़ते ना थे तो
फिर लिखकर मिटा देते थे
हम काबिल नहीं थे तुम्हारे
इसीलिए हमेशा पीछे हटते थे
कुछ जज़्बात अधूरे ही रहते हैं
यही सोचकर हम सबर करते थे
खो जायेंगे हम भी कहीं एकदिन
सहरा में मरने वाले कहाँ मिलते हैं !!
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