...

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चेहरे से पर्दा उतारो कभी!!
बालों की तरह हमें सवारों कभी
लबों से अपने पुकारो कभी
तरस गयी ये आंखें दीदार को
चेहरे से पर्दा उतारो कभी !!

ख्वाहिश लबों की हंसी देखू
माथे की बिंदी सजी देखू
मेरी नादानियों को सुधारों कभी
चेहरे से पर्दा उतारो कभी !!

नज़रो में जबसे तुम्हारे खोये हैं
कई रातें बीती हम ना सोये हैं
इक शाम सुहानी साथ गुजारो कभी
चेहरे से पर्दा उतारो कभी !!




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