...

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समां।
तुमसे मिलने के बाद यह समा समा नहीं रहता,
वक्त वक्त नहीं रहता,मैं मैं नहीं रहता।

तुम क्या ही समझोगे तुम्हारे आने की खुशी ?
उदास रहनेवाला मैं,फिर उदास नहीं रहता।

तुम जब भी आते हो संग बहार ले आतें हो,
फिर कोई फूल गुलशन का, मुरझा नहीं रहता।

तुम चलते हो तो झूम उठते हैं रास्तें,फिर
फिर मंज़र कोई विरान, विरान नहीं रहता।

दुनियां समझती हैं पागल मुझे,खैर बात नहीं,
तुम साथ ना हो तो मैं अरीब नहीं रहता।

बात समझे तुम तो ठीक,नहीं तो यूं ही सही,
तुम्हारी छुअन से मैं फिर ठीक नहीं रहता।
© वि.र.तारकर.