...

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महक खुशी की खुद में ही है।
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते!

रंग-रूप कुछ तो देखा होगा?
उसने स्वयंवर जैसे टटोला होगा?
ऐसे ही कहा पसंद है करते!

रोक - टोक कुछ तो किया होगा
उसने नियम और कायदे लिखे होगे
ऐसे ही कहा स्वीकार है करते!

पढ़ाई-लिखाई तो जाना होगा?
उसने नौकरी को तो अस्विकारा होगा?
ऐसे ही कहा आगे बढ़ने है देते!

भेद-भाव को तो अधिकार माना होगा?
उसने खुद को ज्यादा तो मुझे कम आंका होगा?
ऐसे ही कहा कोई हाथ है थामते!

ना-हां तो मानो सब एक खेल होगा?
उसने खेलना अच्छा लगा होगा?
ऐसे ही कहा कोई टूटते है रिश्ते!
© mehakkhushiki #KRK#

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