...

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शब्दों की ताकत
शब्द कोई बिना सोचे समझे....
जो लबों पर आ जाए
बरसो से बंधी रिश्तों की डोर
एक पल मे तोड़ जाए,,,!!

शब्द जब जब मन मे घर करे....
अंदर ही अंदर यह खा जाए
शब्द जो आँखों मे बसे
खामोशी मे भी बहुत कुछ कह जाए,,,!!

शब्द जो गुस्से में जुबां से बाहर निकले...
दुश्मन फिर ना जाने कितने बनाए
शब्दों में होती हैं इतनी ताकत
चोट भी दे और मरहम भी यह बन जाए,,,!!

शब्दों की कमी हो जब जीवन में....
हर एक बात अधूरी रह जाए
जो ना हो शब्द ही पास मे फिर कैसे
कोई दिल के जज्बात कह पाए,,,!!

शब्दों से ही जीवन का यह सफ़र.....
मंजिल तक बढ़ता जाए
शब्द ही ना हो जीवन में फिर कैसे
कोई किसी पे भरोसा कर पाए,,,!!

शब्द कोई भी जो नफरत की जगह....
प्यार से जुबां से बोला जाए
टूटते-टूटते भी ना जाने कितने ही
रिश्तें खुद-ब-खुद जुड़ जाए,,,,!!

शब्द जो कड़वाहट के तीर चलाकर.....
दिल पर वार कर जाए
जीता जागता हुआ इंसान भी
मौत के घाट उतर जाए,,,!!

शब्दों की क्या होती हैं अहमियत....
जो यह बात जान जाए
कब, कहाँ, क्या, बोलना है
वही व्यक्ति इस बात को समझ पाए,,,,!!

शब्दों को जब कोई इंसान....
अपनी ताकत बनाए
पूरा संसार ही उसके आगे
फिर अपना सिर झुकाए,,,,!!