...

11 views

मिट्टी के जन्में लोग
घर बनाने वाले ही घर को तरसते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं
देते खुशी जिन लोगों को वही उनपे हंसते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं...
जीवन गुजरता जा रहा, कोहरा न छटता जा रहा
अंधकार में वो जुगनू सा फिर भी चमकता जा रहा
जिनको सहारा देना था वो तंज़ कसते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं...
छोटू बेचारा तीस में भी छोटू रहता है
भरता वो सबके पेट पर ख़ुद भूखा रहता है
ख़ुद को दिलासा देते हम, ये कर्मों के रस्ते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं...
शिक्षा, सेहत की बात क्या? सोने को धरती भी नहीं
बिखरी हुई है ज़िंदगी फिर है मरती ही नहीं
पानी के जैसे आग के गोले बरसते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं...
ख़ुदा कोई, कोई भगवान उसको रास ना आए
छिपाकर पेट की पीड़ा किसे वो ध्यान में लाए
उसे बस प्रेम के कुछ शब्द ही मणियों से जंचते हैं
मिट्टी के जन्में लोग वो मिट्टी में बसते हैं...
© Er. Shiv Prakash Tiwari