याद
उसके आने की खबर से, महक उठा मेरी यादों का आँगन,
उसकी पायल की झंकार से, गूँज उठा मेरी यादों का प्रांगण।
वो जब लहराती थी केश अपने, मन मेरा धड़क उठता था,
निहारता जब उसका मुखड़ा, मन मेरा बस में न रहता था।
जब से मिली है खबर उसके आने की, मन हो रहा बेचैन,
बार बार देखता हूँ द्वार की ओर, खो गया दिल का चैन।
मुद्दत हुई उसे गये हुए, अब नहीं सहा जाता अकेलापन,
उसके आने की खबर से, चहक उठा है फिर से यह चमन।
बड़ी देर कर दी इस बार आने में, काश वह पहले आ जाती,
खूब करते हम बैठकर बातें, पुरानी यादें सब ताजा हो जाती।
वो उसके संग बैठकर चाय पीना, घंटों पार्क में यूँ ही बैठना,
छोटी छोटी बात पर, उसका गुस्सा होना और मेरा मनाना।
याद आता हैं मुझे, उसका वह घूर घूर कर मेरी ओर देखना,
मेरे घर के सामने की उस खिड़की में, उसका घंटों खड़े रहना।
चाय की पत्ती लेने के बहाने, उसका मेरे घर की घंटी बजाना,
कभी सब्जी देने आना और फिर घंटों उसका यूँ ही मुस्कुराना।
बड़े सुहाने थे वो दिन, जब वो और मैं होते थे पास पास,
जब से चली गई वो पिछली बार, मिट गई मन की आस।
अब जो खबर मिली उसके वापस आने की, मिला बड़ा सुकून,
गूँज रही प्रीत की धुन मन में, बज रहा चाहत का तरन्नुम।
समय बस यूँ ही गुजर गया, वह कहीं बहुत दूर चली गई,
उसके आने की खबर से, खोई हुई सारी वो चाहत लौट आई।
अब तो साथ कोई नहीं मेरे, पर याद आते हैं सारे वो पल,
जब से खबर मिली उसके आने की, बाँट जोह रहा हूँ हर पल।
अमृत
© Amrit yadav
उसकी पायल की झंकार से, गूँज उठा मेरी यादों का प्रांगण।
वो जब लहराती थी केश अपने, मन मेरा धड़क उठता था,
निहारता जब उसका मुखड़ा, मन मेरा बस में न रहता था।
जब से मिली है खबर उसके आने की, मन हो रहा बेचैन,
बार बार देखता हूँ द्वार की ओर, खो गया दिल का चैन।
मुद्दत हुई उसे गये हुए, अब नहीं सहा जाता अकेलापन,
उसके आने की खबर से, चहक उठा है फिर से यह चमन।
बड़ी देर कर दी इस बार आने में, काश वह पहले आ जाती,
खूब करते हम बैठकर बातें, पुरानी यादें सब ताजा हो जाती।
वो उसके संग बैठकर चाय पीना, घंटों पार्क में यूँ ही बैठना,
छोटी छोटी बात पर, उसका गुस्सा होना और मेरा मनाना।
याद आता हैं मुझे, उसका वह घूर घूर कर मेरी ओर देखना,
मेरे घर के सामने की उस खिड़की में, उसका घंटों खड़े रहना।
चाय की पत्ती लेने के बहाने, उसका मेरे घर की घंटी बजाना,
कभी सब्जी देने आना और फिर घंटों उसका यूँ ही मुस्कुराना।
बड़े सुहाने थे वो दिन, जब वो और मैं होते थे पास पास,
जब से चली गई वो पिछली बार, मिट गई मन की आस।
अब जो खबर मिली उसके वापस आने की, मिला बड़ा सुकून,
गूँज रही प्रीत की धुन मन में, बज रहा चाहत का तरन्नुम।
समय बस यूँ ही गुजर गया, वह कहीं बहुत दूर चली गई,
उसके आने की खबर से, खोई हुई सारी वो चाहत लौट आई।
अब तो साथ कोई नहीं मेरे, पर याद आते हैं सारे वो पल,
जब से खबर मिली उसके आने की, बाँट जोह रहा हूँ हर पल।
अमृत
© Amrit yadav