...

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याद
उसके आने की खबर से, महक उठा मेरी यादों का आँगन,
उसकी पायल की झंकार से, गूँज उठा मेरी यादों का प्रांगण।
वो जब लहराती थी केश अपने, मन मेरा धड़क उठता था,
निहारता जब उसका मुखड़ा, मन मेरा बस में न रहता था।

जब से मिली है खबर उसके आने की, मन हो रहा बेचैन,
बार बार देखता हूँ द्वार की ओर, खो गया दिल का चैन।
मुद्दत हुई उसे गये हुए, अब नहीं सहा जाता अकेलापन,
उसके आने की खबर से, चहक उठा है फिर से यह चमन।

बड़ी देर कर दी इस बार आने में, काश वह पहले आ जाती,
खूब करते हम बैठकर बातें, पुरानी यादें सब ताजा हो...