कैसा समय आया मित्र
// #कैसा_समय_आया_मित्र //
जगत में यह कैसा समय आ गया मित्र,
चरु दिशा चाल - चरित्र हो चुके विचित्र;
देश- भेष दिशा- दशा से अनभिज्ञ चित,
अतिरेक -अंधकारमय में मानव - चित्त।
जग बटा सीमा में पंथ- जात में समाज,
तार तार रिश्ते और मात पित्र असाहय;
मानव मन सिर्फ मोह- माया हाय- हाय,
सत्य मूकदर्शक असत्य करे...
जगत में यह कैसा समय आ गया मित्र,
चरु दिशा चाल - चरित्र हो चुके विचित्र;
देश- भेष दिशा- दशा से अनभिज्ञ चित,
अतिरेक -अंधकारमय में मानव - चित्त।
जग बटा सीमा में पंथ- जात में समाज,
तार तार रिश्ते और मात पित्र असाहय;
मानव मन सिर्फ मोह- माया हाय- हाय,
सत्य मूकदर्शक असत्य करे...