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बेचैन मन
ना दिन का पता
कब रात खत्म
हुआ जो अंधेरा तो शायद रोशनी खत्म,
सफलता मिली तो कर्मठ हुआ
असफल तो कामचोर कहलाया,
कोई न समझे सफलता, विफलता को
संघर्ष जो मैने किया
हुई एक कहानी वो,
कैसे शांत हो,ये अशांत मन
कोन सुने और समझे इस पीड़ा को
कहानी जो शुरू की हमने
बस अब अंतिम परिणाम बाकी है....
© sharma
कब रात खत्म
हुआ जो अंधेरा तो शायद रोशनी खत्म,
सफलता मिली तो कर्मठ हुआ
असफल तो कामचोर कहलाया,
कोई न समझे सफलता, विफलता को
संघर्ष जो मैने किया
हुई एक कहानी वो,
कैसे शांत हो,ये अशांत मन
कोन सुने और समझे इस पीड़ा को
कहानी जो शुरू की हमने
बस अब अंतिम परिणाम बाकी है....
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