आज़ाद
ग़र आपको लगता है कि आप आज़ाद नहीं हो
तो छोड़ दो वो गली जो पैरों में आपके जंजीरें बांधती हो।।
तोड़ दो वो पिंजरा
जिनमें से बंधन की महक आती हो।।
निकलों उन सड़कों से आजादी के और
शुरू कर दो एक द्वंद्व अपने और इस बंधन के बीच।।
कर लो शामिल उन हर रिश्ते को
जो तुममें रहते हुए भी तुम्हें आजाद रखते हैं।।
चुन लो उन गलियों को फ़िर से
जो आजादी के सिर्फ गीत...
तो छोड़ दो वो गली जो पैरों में आपके जंजीरें बांधती हो।।
तोड़ दो वो पिंजरा
जिनमें से बंधन की महक आती हो।।
निकलों उन सड़कों से आजादी के और
शुरू कर दो एक द्वंद्व अपने और इस बंधन के बीच।।
कर लो शामिल उन हर रिश्ते को
जो तुममें रहते हुए भी तुम्हें आजाद रखते हैं।।
चुन लो उन गलियों को फ़िर से
जो आजादी के सिर्फ गीत...