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हार और जीत को हमारा सलाम!
वक़्त आज तुम्हारा है, तोह क्या हुआ?
वक़्त कल हमारे लिए भी होगा!
जब सूरज की किरण एक नया सवेरा लाए।
तो अंधकारसे से कियु कदम लरखराये!
ग़म नहीं की जीत हमें नसीब नहीं हुयी,
बस दुआ इतना है कि,
हार हमारी जीतकी सीढ़ीया बनजाये!
यह सच है कि,
दुनिया जीत को पूजती है!
मगर यही दुनिया हार से सीख सीखती है!
जब हमारे हारकी जश्न मानते हो तुम्,
तोह क्यों मातम मनाएं हम!
जब आपकी जीत हमारी हार की वरमाला भने,
तो क्यों हार हमारी जीत नहीं!
सलाम उस हर एक हार को,
सलाम उस हर एक जीत को,
सलाम उस हर एक जीत हार को!
वक़्त कल हमारे लिए भी होगा!
जब सूरज की किरण एक नया सवेरा लाए।
तो अंधकारसे से कियु कदम लरखराये!
ग़म नहीं की जीत हमें नसीब नहीं हुयी,
बस दुआ इतना है कि,
हार हमारी जीतकी सीढ़ीया बनजाये!
यह सच है कि,
दुनिया जीत को पूजती है!
मगर यही दुनिया हार से सीख सीखती है!
जब हमारे हारकी जश्न मानते हो तुम्,
तोह क्यों मातम मनाएं हम!
जब आपकी जीत हमारी हार की वरमाला भने,
तो क्यों हार हमारी जीत नहीं!
सलाम उस हर एक हार को,
सलाम उस हर एक जीत को,
सलाम उस हर एक जीत हार को!
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