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राष्ट्रपिता...
कहलाए महात्मा,
क्योंकि शुद्ध थी आत्मा।
क्या चंपारण,
क्या असहयोग,
क्या सविनय,
क्या खेड़ा।
क्या नमक आंदोलन,
क्या भारत छोड़ो,
हर बार,
अंग्रेजों को खदेड़ा।
जेल गए,
अनशन किया,
उस वृद्धावस्था में भी,
क्या कुछ नहीं सह गए।
न हथियार उठाया,
न दिया उठाने।
क्योंकि विचार थे,
सत्य अहिंसा।
बिना रक्त बहाये,
स्वतंत्रता लेंगे।
यही थी उनकी मंशा।
लक्ष्य भी हासिल किया,
फिर ली अंतिम विदाई।
'हे राम' थे,
उनके अंतिम शब्द।
इस दृश्य ने,
हर किसी को किया स्तब्ध।
एक राष्ट्रपिता,
हमने खोया था।
वे बापू ही थे,
जिन्होंने अखंड भारत का बीज,
हर भारतीयों में बोया था।
© Rohit Sharma(Joker)
क्योंकि शुद्ध थी आत्मा।
क्या चंपारण,
क्या असहयोग,
क्या सविनय,
क्या खेड़ा।
क्या नमक आंदोलन,
क्या भारत छोड़ो,
हर बार,
अंग्रेजों को खदेड़ा।
जेल गए,
अनशन किया,
उस वृद्धावस्था में भी,
क्या कुछ नहीं सह गए।
न हथियार उठाया,
न दिया उठाने।
क्योंकि विचार थे,
सत्य अहिंसा।
बिना रक्त बहाये,
स्वतंत्रता लेंगे।
यही थी उनकी मंशा।
लक्ष्य भी हासिल किया,
फिर ली अंतिम विदाई।
'हे राम' थे,
उनके अंतिम शब्द।
इस दृश्य ने,
हर किसी को किया स्तब्ध।
एक राष्ट्रपिता,
हमने खोया था।
वे बापू ही थे,
जिन्होंने अखंड भारत का बीज,
हर भारतीयों में बोया था।
© Rohit Sharma(Joker)
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