...

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नसीब
उड़ चुके मेरे हाथों से एहसास के पंछी,
उनका दिल जहां चाहे वो उधर जायेंगे.
उन्हें पता है रास्ता मुझ तक वापस आने का,
गर वो चाहेंगे तो फिर मेरी तरफ लौट आयेंगे.
तजुर्बा यही कहता है बीते लम्हे वापस नहीं आते,
हमसे बेहतर मिले जो चाहने वाला वो मुझे फिर भूल जायेंगे,
मैंने छोड़ा है अब हर फैसला वक्त की अदालत पर
पैरवी करेगा नसीब ख्याल मेरे बिखरेंगे या संभल जायेंगे.