...

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अब के सजन सावन में.......
आज सावन की ऋतु में
धरती अम्बर सजे सुहावन
रंग बिरंगे फूलों से अवनी महके
हरियाली का देखो मृदु रस बरसे

सावन में ऋतु हृदय हुआ पुलकित
सजे भाल बिंदिया पांव महावार
बूंदों की ताल पर पायल झनके
खन खन कर ऋतु कंगना खनके

पिया बिना सावन कैसे महके
किया सोलह श्रृंगार अनुपम
पर पिया दरस को नैना तरसे
मिल जाओ इस सावन में मोसे
अबकी बार दो सावन के महीने
© ऋत्विजा