अनोखापन इस आवाम का
कुछ खुशनुमा सा वह पल था हमारा
जिसमें आंसुओं का समंदर भी
बड़ा खूबसूरत नज़र आता था।।
मगर देखो आज के इस ज़माने के दस्तूर को
मानो जीने का ख्वाब भी इससे पहले बड़ा लगता था।।
जिस शानो-शौकत की खुशियों को
हम गले लगाए बैठे थे,
उसे इस आवाम ने ऐसा बदनाम फरमाया है कि
आज चारों तरफ देख...