मेरी चाहत
आज मैं कुछ कहना चाहता हूँ,
मन की बात आपको बताना चाहता हूँ !
मैं प्रेम की फसल लहलहाना चाहता हूँ,
मैं घृणा की खरपतवार हटाना चाहता हूँ!!
पत्थरों की मार सहकर भी,
मैं झगड़ा मिटाना चाहता हूँ!
इस धरा पर प्रेम की वर्षा करके,
मैं सबके दिलों की आग बुझाना चाहता हूँ!!
इस जग में अब कभी न रावण हो; न कंस,
मैं बुराई का अंश सदा के लिए मिटाना चाहता हूँ!
दीप शिक्षा का जलाकर,
मैं अज्ञान अंधकार मिटाना चाहता हूँ !!
प्रचार-प्रसार...
मन की बात आपको बताना चाहता हूँ !
मैं प्रेम की फसल लहलहाना चाहता हूँ,
मैं घृणा की खरपतवार हटाना चाहता हूँ!!
पत्थरों की मार सहकर भी,
मैं झगड़ा मिटाना चाहता हूँ!
इस धरा पर प्रेम की वर्षा करके,
मैं सबके दिलों की आग बुझाना चाहता हूँ!!
इस जग में अब कभी न रावण हो; न कंस,
मैं बुराई का अंश सदा के लिए मिटाना चाहता हूँ!
दीप शिक्षा का जलाकर,
मैं अज्ञान अंधकार मिटाना चाहता हूँ !!
प्रचार-प्रसार...