*** तु कहीं मिल तो सही ***
*** कविता ***
*** तु कहीं मिल तो सही ***
" छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा ,
दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें . "
दिलकशी ये अंदाज ठहरा और क्या वयान करें ,
छु के मुझको तुझमें हिफाजत दें तु कहीं मिलो तो सही ,
ये अंदाजेबयां अब भी कहीं...
*** तु कहीं मिल तो सही ***
" छु के हसरतों को तु कहीं मुझमें शामिल हो जा ,
दें कोई आवाज मुझको या फिर मुझे काफ़िर ही रहने दें . "
दिलकशी ये अंदाज ठहरा और क्या वयान करें ,
छु के मुझको तुझमें हिफाजत दें तु कहीं मिलो तो सही ,
ये अंदाजेबयां अब भी कहीं...