...

6 views

Nothing at all..?
एक गहरी खामोशी है मेरे अंदर,
समुंदर सा शोर बैठा है मचने को,
डर का आगोश लिए दिन रात भर,
कहीं सपने पाने की तलब मची है,
कहीं खो ना दूं खुद को जिद्द में आकर,
मैं मनचलि हट नही रही इरादो से,
एक और इश्क का जाल है बिछा,
एक और ख्वाहीसे बेतोड़ पनप रही,
मर जाऊँ एक दिन इस अंधेरे में,
ये सोच गहरी मुझे खा रही पल पल,
अब दास्तां सुनाऊ किस घडी किसे,
कुछ लफ्जो की कमी पड़ी रही,
कुछ समझने वाला ढूंढ रही,
सब को दिख रही मुस्कराती हीर मै,
कैसे रो रो पल रही कोई पूछे जरा,
एक दबा सा सच लिए फिर डर लिए,
खो ना दूं ये रिश्तें गिने चुने,
मैं चुप रही..मै पल रही..मै जी रही,
मै पी रही घुटन सी फिर मुस्करा रही,
पाल रही डर खामोश सा,
वो पूछेगा हाल मेरा..क्या हाल बताऊँगी,
आदत है मुझे मै झूठ बोल फिर,
उसे सब ठीक बताऊंगी,
मै मुकर जाऊँगी खुद से जरा सा,
फिर वही रात अंधेरे में मै,
खुद को अकेला पाऊँगी,
थोड़ा सहूँगी जिकर जरा,
थोड़ा मर मर जी जाऊँगी,
पल रही जो ख्वाहीसे तन में,
हिम्मत रख पुरा कर जाऊँगी,
बेवक्त हूँ मै तो खुद से क्या पता,
तुम पूछते रहना हालत मेरे मुझसे,
वो बेवक्त मौत बताकर नही आती..!!

#unbelievable_poetess♛┈•༶
© Deepika Agrawal_creative

Related Stories