...

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Nothing at all..?
एक गहरी खामोशी है मेरे अंदर,
समुंदर सा शोर बैठा है मचने को,
डर का आगोश लिए दिन रात भर,
कहीं सपने पाने की तलब मची है,
कहीं खो ना दूं खुद को जिद्द में आकर,
मैं मनचलि हट नही रही इरादो से,
एक और इश्क का जाल है बिछा,
एक और ख्वाहीसे बेतोड़ पनप रही,
मर जाऊँ एक दिन इस अंधेरे में,
ये सोच गहरी मुझे खा रही पल पल,
अब दास्तां सुनाऊ किस घडी किसे,
कुछ लफ्जो की कमी पड़ी रही,
कुछ समझने वाला ढूंढ रही,
सब को...