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तुम तक
पता नहीं
कौन सा रास्ता
तुम तक जाता है
बिल्कुल गुमनाम पते पर
लिखती आई हूं
अपनी सारी कविताएं,
जब से समझ आया
प्रेम की जरूरत भी है
जीने के लिए,
मैं सिर्फ़ तुम्हें ढूंढती आई हूं,
अब तक
तुम कहीं नही मिले,
तुमसे परिचय सिर्फ
अपरिचित होने तक का है,
~शैली ( स्वरचित पंक्तियां)
© @sanguineshaili
कौन सा रास्ता
तुम तक जाता है
बिल्कुल गुमनाम पते पर
लिखती आई हूं
अपनी सारी कविताएं,
जब से समझ आया
प्रेम की जरूरत भी है
जीने के लिए,
मैं सिर्फ़ तुम्हें ढूंढती आई हूं,
अब तक
तुम कहीं नही मिले,
तुमसे परिचय सिर्फ
अपरिचित होने तक का है,
~शैली ( स्वरचित पंक्तियां)
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