पुरुष होना
पुरुष हूँ
विधाता की हूँ रचना
मैं नारी का अभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!
मन की बात मन में रख
ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ
माँ की ममता
पिता का स्वाभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!
मैं जीवन में आया जबसे
अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम
पिता के फटे जूते से लेकर
बहन की शादी के
सपनों का आधार हूँ...
विधाता की हूँ रचना
मैं नारी का अभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!
मन की बात मन में रख
ऊपर से हरदम खुशमिजाज़ हूँ
माँ की ममता
पिता का स्वाभिमान हूँ,
हाँ मैं एक पुरुष हूँ!
मैं जीवन में आया जबसे
अपेक्षा के बोझ से लदा हरदम
पिता के फटे जूते से लेकर
बहन की शादी के
सपनों का आधार हूँ...