कर्म एवम् उसका परिणाम
© Shivani Srivastava
सुना है मैंने कि जीवन के सुख दुःख अपने ही कर्मों के परिणाम होते हैं..
सबके कर्म देखते हैं आप भगवन्, फल मिलता वही, जैसा बीज सब बोते हैं।
आपने मेरे ईश्वर! मुझे बहुत कुछ दिया है,मुझे भी इस हकीकत का एहसास है..
पर पता है न भगवन्! कि दुनिया में हर दिन,मेरा अन्तर्मन किस तरह उदास है।
क्या पिछले जन्म के कर्म मेरे इतने बुरे थे कि हर दिन रोते हुए बीत जाए..
इस जन्म के कर्मों में पाप कब किया,मेरे भगवन! मुझे तो नजर ही न आए।
तुच्छ मानव हूं मैं सवाल कर रही हूं,आपसे मन की बातें क्या रखना अधूरा...
जिस जन्म के जैसे कर्म वैसा जीवन हो,ये चक्र क्या नहीं हो सकता है पूरा।
परिणाम मिलता अगर इस जन्म में ही प्रभु! सबको अपने कर्मों का...