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रो के जियो मुस्कुरा के जियो बस दर्द अपना छिपा के जियो
रो के जियो मुस्कुरा के जियो बस दर्द अपना छिपा के जियो।
ज़ख्म बाटने वाला कोई नहीं दिल में अपनी बात दबा के जियो।
लड़ते रहो चलते रहो कुछ रिश्तों को बस मिटा के जियो।
ना झूठ जियो ना सच को जियो बस कर्म अपना निभा के जियो
अपनी राह के तुम खुद मुसाफिर
अपनी मंजिल बना के जियो
© navneet chaubey
ज़ख्म बाटने वाला कोई नहीं दिल में अपनी बात दबा के जियो।
लड़ते रहो चलते रहो कुछ रिश्तों को बस मिटा के जियो।
ना झूठ जियो ना सच को जियो बस कर्म अपना निभा के जियो
अपनी राह के तुम खुद मुसाफिर
अपनी मंजिल बना के जियो
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