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अश्क़ अपने
देख उनको हृदय में अपने,
छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
हक़ीक़त कुछ और सही,
क्या बयां करुँ दिल को अपने।
कि सारे सपने टूट गये,
संभाला है जिसे हृदय में अपने।
वो है अगले जन्म के वादे में,
छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
अश्क़ ही यादें हैं अब तो,
जो कुछ पल ठहरती पास अपने।
हौले से मेरे नैनों से छलकती,
उन्हें थाम लेता अकेली अपने।
जहन में होते सवाल हजार,
पर कभी न पूछा सवाल अपने।
कि कहीं दर्द़ उन्हें न पहुँचे,
इसलिए छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
**। **।
#मनःश्री
© Shandilya 'स्पर्श'
छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
हक़ीक़त कुछ और सही,
क्या बयां करुँ दिल को अपने।
कि सारे सपने टूट गये,
संभाला है जिसे हृदय में अपने।
वो है अगले जन्म के वादे में,
छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
अश्क़ ही यादें हैं अब तो,
जो कुछ पल ठहरती पास अपने।
हौले से मेरे नैनों से छलकती,
उन्हें थाम लेता अकेली अपने।
जहन में होते सवाल हजार,
पर कभी न पूछा सवाल अपने।
कि कहीं दर्द़ उन्हें न पहुँचे,
इसलिए छुपा लेता हूँ अश्क़ अपने।
**। **।
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