...

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आवारगी
आवारगी ही रही साथ मेरे...
मेरा इश्क भी बड़ा कत्लेआम निकला यार
वफाओं के शहर में बेवफ़ा निकला...
वो रूठता ख़्वाब तेरा , वो छूटता हाथ मेरा ...
और बस अब आवारगी साथ मेरे ..
मोहब्बत भी इसी तुजसे ,हर दुआओं की मन्नते मेरी ...
तू कभी मुझसे रूठे न ,रूठे तो कभी टूटे ना ,टूटे तो कभी छूटे ना ...
मेरी मोहब्बत भी बड़ी जालिम -सी थी ..
तू रूठा भी ,तू टूटा भी, तू छूटा भी ...
तेरा छूटना भी बड़ा दर्द -सा लगा ...
साथ अपना बस आवारा -सा लगा ...
तू शराब के नशे की धुन में रहता ,
में तेरे इश्क नशे की धुन में बहती...
तूझे लगता मेरा कुछ नहीं तू ,
मुझे लगता मेरा बस सब तू ही तू ...
तेरी नाराजगी और तेरा छोड़ना,
हाय! जहन में जहर -सा लगता ...
तेरा साथ अब बेसहारा -सा लगा ,
तेरा छूटता हाथ अब आवारा -सा लगा ....

-sanju mei 🖤