...

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सुन लो विनय हमारी..
धर्म घटा है पाप बढ़ा है धरती पर गिरिधारी
एक बार अवतार लो फिर से सुन लो विनय हमारी

पहले कितने रावण मारे कितने कंस मरे हैं
अब तो नाथ कहें क्या तुमसे ऐसा जुल्म करे हैं
छद्मवेश में घूम रहे हैं पापी अत्याचारी
धर्म घटा है पार बढा है धरती पर गिरधारी

पाखण्डों की आड़ में होती कितनी हेरा फेरी
जोगी, भोगी बन बैठे या भोगी बन गये जोगी
एक खंभ पर धर्म टिका उस पर भी चलती आरी
धर्म घटा है पाप बढ़ा है धरती पर गिरधारी

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