...वक्त था के बस यूं ही निकलता रहा...
शाम होती गई दिन ढलता रहा
वक्त था के बस यूं ही निकलता रहा
साथ मिलकर तेरे जी लेने को,
जाम, तेरी आंखों का पी लेने को
तलब लगती रही, ज़ी मचलता रहा
वक्त था के बस यूं ही....
...
वक्त था के बस यूं ही निकलता रहा
साथ मिलकर तेरे जी लेने को,
जाम, तेरी आंखों का पी लेने को
तलब लगती रही, ज़ी मचलता रहा
वक्त था के बस यूं ही....
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