...

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में फिर से महकना चहता हूं...
फीका पड़गया तेरी याद में, अब चमकना चहता हुं...
सिमट गया हूं बहत, अब मैं बिखरना चाहता हूं...

खोखले दिल को, फिर अरमानों से भरदेना चाहता हूं...
ख्वाबों के सच्चाई में अब बेहेकना चाहता हूं...

खुशियों के बदले गिरे अस्कों को कुचलना चाहता हूं...
टूटना नहीं अब मै जुड़ना चहता हूं...

मुरझाए गुलाब मै हयात भरदेना चाहता हूं...
कुछ इस्तरह मै महकना चहता हूं...
© newtoshayari