...

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ग़ज़ल
आज की पेशकश ~

रस्म भर जीने की हम करते हैं।
सच तो है सांस सांस मरते हैं।

सबको मालूम है कि सच क्या है,
सच मगर बोलने से डरते हैं।

यार अपनी न ज़रूरत कह दे,
हाल हम पूछने से डरते हैं।

ग़म हमारे वो दोस्त हैं बेशर्म,
बिना पूछे ही आ धमकते हैं।

जो हमारे भले की बात करें,
हमको वो लोग ही अखरते हैं।
© इन्दु