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टूटा हुआ प्यार....
कांटो के बीच घिरा वो फूल गुलाब था ।
मैंने जिसे चाहा वो शायद महताब था ।।
पहरो में भी जिनके होटों पर हंसी थी ।
वो वर्षो से मेरे दिल का एक ख्वाब था ।।
जिनके करीब जाकर भी हम मौन रहे ।
उनके आंसू सारे जख्मों का जवाब था ।।
भला किसे नसीब हुई सच्ची मोहब्बत।
सोच कर उसने यही रोया बेहिसाब था।।
तारों के टूटने पर भी जो जश्न मनाते थे ।
आज उनके ही ऊपर छाया अजाब था ।।
balram barik
मैंने जिसे चाहा वो शायद महताब था ।।
पहरो में भी जिनके होटों पर हंसी थी ।
वो वर्षो से मेरे दिल का एक ख्वाब था ।।
जिनके करीब जाकर भी हम मौन रहे ।
उनके आंसू सारे जख्मों का जवाब था ।।
भला किसे नसीब हुई सच्ची मोहब्बत।
सोच कर उसने यही रोया बेहिसाब था।।
तारों के टूटने पर भी जो जश्न मनाते थे ।
आज उनके ही ऊपर छाया अजाब था ।।
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