नज़म
अजीब कशमकश है,कैसी ये बेबसी है
तेरे बगैर हालत, टूटे दरख़्त सी है
मालिक के करम से यूँ,सब कुछ है पास मेरे
मेरी हयात मे फ़क़त, इक तेरी ही कमी है
कहते हैं चाँद यूँ तो, सबसे है खूबसूरत ...
तेरे बगैर हालत, टूटे दरख़्त सी है
मालिक के करम से यूँ,सब कुछ है पास मेरे
मेरी हयात मे फ़क़त, इक तेरी ही कमी है
कहते हैं चाँद यूँ तो, सबसे है खूबसूरत ...