...

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“खुदकुशी मात्र सलीका नहीं, खुद को समझाने का"
उसकी नजरों से बचाकर, मुझे रखोगे कहां,
नब्ज़ो में दौड़ता है, हर कतरा उसके नाम का,,

ये पहरों पे पेहरे, बे-फिजूल है साथियों,
कोई अंदर ही मार देगा, शख्स उसके नाम का,,

जज्बात में आके, कोई फैसला ना करना हमारी तरफ,
लटका देना...