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दिन वो बड़े हसीन थे
हम तुम प्यार तीन थे,
एक दूजे में विलीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
खुशियों थीं बड़ी-बड़ी,
गम थे मगर महीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
कुछ तो दोस्त शरीफ थे,
और कुछ यार कमीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
सब टीवी थे ब्लैक एंड वाइट,
कुछ टीवी रंगीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
मदारी डमरू बजाता था,
सपेरे बजाते बीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
पक्के घर तो थे ही नहीं,
छप्पर थे कुछ टीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
देखते थे सब रामायण ,
सब भक्ति में लीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
सामंजस्य था आपस में,
सभ्य थे सब शालीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
आसमान में उड़ते थे,
छोड़ते नहीं जमीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
तब फिल्में बेहतर थीं,
सीरियल बेहतरीन थे।
दिन वो बड़े हसीन।।
किसी एक को दुख था,
सब के सब गमगीन थे।
दिन वो बड़े हसीन से।।
© राम अवतार "राम"
एक दूजे में विलीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
खुशियों थीं बड़ी-बड़ी,
गम थे मगर महीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
कुछ तो दोस्त शरीफ थे,
और कुछ यार कमीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
सब टीवी थे ब्लैक एंड वाइट,
कुछ टीवी रंगीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
मदारी डमरू बजाता था,
सपेरे बजाते बीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
पक्के घर तो थे ही नहीं,
छप्पर थे कुछ टीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
देखते थे सब रामायण ,
सब भक्ति में लीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
सामंजस्य था आपस में,
सभ्य थे सब शालीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
आसमान में उड़ते थे,
छोड़ते नहीं जमीन थे।
दिन वो बड़े हसीन थे।।
तब फिल्में बेहतर थीं,
सीरियल बेहतरीन थे।
दिन वो बड़े हसीन।।
किसी एक को दुख था,
सब के सब गमगीन थे।
दिन वो बड़े हसीन से।।
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