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लिखूं जो ख़त तुझे
लिखूँ जो ख़त तुझे ओ मेरे साजन,
दीवाना दिल मेरा बेकरार हो जाता है !!
तुझसे मिलने की आस में दिल मेरा,
जुदाई का हर गम भूल जाता है !!
रोता है दिल दिन-रात तुझे याद करके,
फिर भी दीवाना तुझसे ही प्यार किए जाता है !!
लिखने बैठती हूं जब जज़्बात अपने,
एक तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं लिखा जाता है !!
नहीं चाहती मैं अपना हाल-ए-दिल बयां करना,
पर हर लम्हा बस तेरा ही ख़्याल आ जाता है !!
© ✍️Archna
दीवाना दिल मेरा बेकरार हो जाता है !!
तुझसे मिलने की आस में दिल मेरा,
जुदाई का हर गम भूल जाता है !!
रोता है दिल दिन-रात तुझे याद करके,
फिर भी दीवाना तुझसे ही प्यार किए जाता है !!
लिखने बैठती हूं जब जज़्बात अपने,
एक तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं लिखा जाता है !!
नहीं चाहती मैं अपना हाल-ए-दिल बयां करना,
पर हर लम्हा बस तेरा ही ख़्याल आ जाता है !!
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