...

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दो जिस्म एक जान।
याद है तुझे कभी तूने कहा था
हम दो जिस्म ऐक जां हैं
सच कहा था !
रुक गई सांसें मेरी
देखो ,दिल ये मेरा परेशा है।
धड़कना चाहता है ये पास तू कहां है

अरे !आखिर हम दो जिस्म एक जान हैं
लहू टपक रहा है आंखों से
धड़कन रिहाई चाहे है
नज़रें ये पागल उठ उठ कर
आसमान की ओर जाए है।
लेकिन तू आना मत
वरना ये दिल फिर से जी जाए है,

ये ठीक है कि घुटन सी होती है
ये ठीक है कि सांसें...