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उम्र
एक उम्र थी जो बीत गई मेरे सपनों को भी ले गई! "बचपन से जवानी तक मजे मैंने उड़ा लिये अब घर संभालने की बारी भी आ गई! एक उम्र थी जो बीत गई..
बड़े अरमानों से आसमान में उड़ने के सपने पाले थे !
आज उस पंछी के पंख टूट रहे हैं घर के कामकाज में !आसमान के तारों को तोड़ने की बातें होती थी कभी आज दिन में तारे नजर आते हैं एक उम्र थी जो बीत गई...
अब आ रहा बुढ़ापा है यह भी लकड़ी के सहारे नाती पोतों के सहारे यह भी उम्र बीत जाएगी !यह भी सब यहीं रुक जाना है एक उम्र थी जो बीत गई ..... अब बस माटी में मिल जाना है एक उम्र थी जो बीत गई हां मेरे सपनों को भी ले गई...😔
बड़े अरमानों से आसमान में उड़ने के सपने पाले थे !
आज उस पंछी के पंख टूट रहे हैं घर के कामकाज में !आसमान के तारों को तोड़ने की बातें होती थी कभी आज दिन में तारे नजर आते हैं एक उम्र थी जो बीत गई...
अब आ रहा बुढ़ापा है यह भी लकड़ी के सहारे नाती पोतों के सहारे यह भी उम्र बीत जाएगी !यह भी सब यहीं रुक जाना है एक उम्र थी जो बीत गई ..... अब बस माटी में मिल जाना है एक उम्र थी जो बीत गई हां मेरे सपनों को भी ले गई...😔
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