सुनसान रास्ते
चल रहा था खुशी खुशी बिन जाने मंजिल है क्या।
मोड़ कई पड़े सफर में, पर चला जा रहा भीड़ थी जहाँ।
उस भीड़ में भी बदलते रहे चेहरे ना जाने कहाँ कहाँ।
कभी कोई जुड़ा, कभी कोई छूटा, अजीब सा लगा था मेला यहां।
रुक गए कदम कुछ पल, कहा दिल ने भीड़ को थोड़ा आगे जाने दो, फिर देखेंगे रास्ता अपना है कहाँ।
जब हुए...
मोड़ कई पड़े सफर में, पर चला जा रहा भीड़ थी जहाँ।
उस भीड़ में भी बदलते रहे चेहरे ना जाने कहाँ कहाँ।
कभी कोई जुड़ा, कभी कोई छूटा, अजीब सा लगा था मेला यहां।
रुक गए कदम कुछ पल, कहा दिल ने भीड़ को थोड़ा आगे जाने दो, फिर देखेंगे रास्ता अपना है कहाँ।
जब हुए...